इस कारण
1. भारत में लगभग 86% सीमांत और लघु किसान हैं।
2. प्रति किसान कृषि जोत का आकार कम होना-
1971-2.28 हेक्टेयर
2015-1.08 हेक्टेयर
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भूमि का पुनर्गठन (Land Reconstitution) ,उपविभाजन और अपखंडन का कारण और प्रभाव |
1. कृषि भूमि पर जनसंख्या का दबाव
2. उत्तराधिकार का नियम
3. संयुक्त परिवार का टूटना
4. किसानों को ऋण-ग्रस्वता
1. कृषि में प्रच्छन्त बेरोजगारी
2: कृषि उत्पादकता में कमी
3. किसानों की आय में कमी
4. मेड़बंदी में भूमि का अपव्यय
1950 में जब देश में संविधान लागू हुआ तब भूमि के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में रखा गया। 1978 में 44वें संशोधन द्वारा भूमि के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर अनुच्छेद 301A के तहत कानूनी अधिकार के रूप में मान्यता दी गई। संविधान का अनुच्छेद 39(B.C) जो आर्थिक और प्राकृतिक संसाधनों को समान और न्यायोचित बढ़ावा देता है को भूमि अधिकार से संबंधित किया गया।
संविधान की अनुसूची 9 के अंतर्गत अगर राज्य सरकार भूमि अधिकार से संबंधित कोई भी नियम बनाती है तो उसे न्यायिक समीक्षा से अलग रखा जाएगा, किंतु वर्ष 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूची 9 के विषयों को भी न्यायिक समीक्षा के अंतर्गत ला दिया। वर्ष 2020 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 'हिमाचल प्रदेश चनाम विद्या देवी' केस में यह फैसला दिया गया कि भूमि का अधिकार न केवल कानूनी अधिकार है बल्कि यह मानव अधिकार भी है।
1. व्यक्ति या परिवार को इकाई।
2. किसान या भूस्वामी
उद्देश्य:- Article 39 (B.C)
आर्थिक समानता और सामाजिक न्याय में वृद्धि करना।
व्यक्ति को इकाई
बेनामी हस्तांतरण
धार्मिक संस्थानों को दायरे से बाहर
बागवानी फसल वाली भूमि को दायरे से बाहर।
कार्यक्रम = डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख नवीनीकरण कार्यक्रम Digital India Land Record Modernisation programme
इस कार्यक्रम को सरकार द्वारा 11 वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान वर्ष 2008 में शुरू किया गया। सरकार द्वारा यह लक्ष्य रखा गया कि 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत (2017) तक सभी उपलब्ध भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किया जाएगा। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भू-अधिकारों से संबंधित भौतिक दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में परिवर्तित किया जाएगा जिससे भू-स्वामी को अपनी भूमि का अंतिम प्रमाणन (Conclusive tital) दिया जाएगा।
इस कार्यक्रम में पहले से चली आ रही तीन योजनाओं का विलय किया गया
राजस्व प्रशासन का सुदृढ़ीकरण (Strengthening of Revenue Administration)
भूमि रिकॉर्ड का अद्यतन (Updation of Land Records)
भूमि रिकॉर्ड का कंप्यूटरीकरण (Computerisation of Land Records)
इस प्रकार इस कार्यक्रम द्वारा सरकार भूमि रिकॉर्ड का कंप्यूटरीकरण करके भू-स्वामी को उनके भूमि संबंधित अधिकारों का अंतिम प्रमाणन देना चाहती है।
इसे सर्वप्रथम 1858 में ऑस्ट्रेलिया में लागू किया गया जहाँ सरकार द्वारा भूमि संबंधित विवाद को समाप्त करने के लिये भूमि के Presumptive title को ऑतम प्रमाणन के रूप में बदला गया।
विश्व में सबसे अधिक भूमि विवाद संबंधित मामले भारत में न्यायालयों में लंबित हैं। इसका एक बहुत बड़ा कारण भारत में भूअधिकारों का अंतिम प्रमाणन न होना है अतः भूमि अधिकार संबंधित दस्तावेज, जैसे- स्टैम्प पेपर, रजिस्ट्री इत्यादि को Presumptive title के रूप में माना जाता है न कि अंतिम प्रमाणन के रूप में।
अतः सरकार द्वारा भूअधिकारों के अतिम प्रमाणन के लिये मुख्यतः दो कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं-
डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख नवीनीकरण कार्यक्रम
स्वामित्व योजना
स्वामित्व योजनाः इसे सरकार द्वारा 24 अप्रैल, 2020 में शुरू किया गया। यह कार्यक्रम पंचायतो राज्य मंत्रालय द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में नोडल एजेंसी के रूप में भारतीय सर्वेक्षण (Survey of India) होगा जिसका मुख्य कार्य ड्रोन के माध्यम से भूमि की मैपिंग करना है और उसके पश्चात् सरकार द्वारा भू-स्वामी को Property card वितरित किया जाएगा।
सरकार ने यह लक्ष्य रखा है कि वर्ष 2024 तक पूरे भारतवर्ष में 6.5 लाख Property card वितरित किये जाएंगे। जिसमें वर्ष 2020-21 में ही लगभग । लाख Property card वितरित किये गए हैं।
राज्यों में Property card के नाम
UP- बरौनी
महाराष्ट्र- सनद
उत्तराखंड- स्वामित्व कार्ड
हरियाणा- Tittle deed
Property card वितरित करने का मुख्य उद्देश्य सरकार द्वारा भू-स्वामी को उसके भूमि संबंधित अधिकार का अंतिम प्रमाणन (Conclusive title) देना है। इस प्रकार Property card प्राप्त करने वाला भू-स्वामी आसानी से अपनी भूमि का क्रय-विक्रय कर सकेगा और आसानी से बैंकों से ऋण ले सकेगा।